“पौष अमावस्या 2024: जानिए इस गहन महत्वपूर्ण दिन के रहस्यों को, सूर्य पूजा से लेकर मंत्र जाप तक के शानदार उपाय!”

पौष अमावस्या 2024: वर्ष की पहली नई चाँदनी के त्योहार को श्रेष्ठ रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं

पौष अमावस्या हिन्दू परंपरा में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन नए चाँद की महिमा को बहुत उच्च माना जाता है। इस दिन पितर देवताओं की पूजा की जाती है, पुनरावृत्ति को महत्त्वपूर्ण बनाते हुए। प्रतिमासिक कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि, जिसे अमावस्या कहा जाता है, विशेष होती है। कैलेंडर के अनुसार, वर्ष 2024 की पहली अमावस्या पौष मास में आ रही है। “स्मॉल श्राद्ध” के नाम से भी जाने जाने वाले इस दिन की तारीख को जानते हैं।

पौष अमावस्या की तिथि:
पौष अमावस्या 2024 की शुरुआत 10 जनवरी, 2024 की रात 8:10 बजे होगी और 11 जनवरी, 2024 की शाम 5:26 बजे तक रहेगी। सूर्योदय की गणना के अनुसार, पौष अमावस्या को 11 जनवरी, 2024 को गुरुवार को मनाया जाएगा। पौष अमावस्या पर किए गए कार्य व्यक्ति के जीवन में सुखी और समृद्धि का योगदान करते हैं। इसके अलावा, इस दिन कुंडली के दृष्टिकोण के अनिकेत प्रभावों को कम करने के लिए कुछ विशेष प्रयासों का असर भी होता है।

पौष अमावस्या मुहूर्त:

  • स्नान और दान का मुहूर्त: सुबह 5:57 से 6:21 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:08 से 12:50 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:40 से 6:07 बजे तक

पौष अमावस्या को क्यों कहा जाता है विशेष?
शास्त्रों के अनुसार, पौष अमावस्या को सूर्य देव की पूजा और पितरों को शांत करने के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने में पितृदाताओं की आत्मा के शांति के लिए पिण्डदान, तर्पण, और श्राद्ध कर्म करने का विधान है। इसके अलावा, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह महीना महत्वपूर्ण है।

पौष अमावस्या पर मंत्रों का जाप:

  • “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।”
  • “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः।”
  • “ॐ श्रीं श्रीं चंद्रमसे नमः।”
  • चंद्र देव का बीज मंत्र: “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः।”

वेदीक कैलेंडर के अनुसार, पौष अमावस्या पौष मास के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन कहा जाता है। धार्मिक संबंधों के अनुसार, इस दिन का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस दिन कई शुभ क्रियाएँ और कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण किया जाता है ताकि पूर्वजों और पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिले। वर्तमान में, पितृ दोष और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए इस दिन उपवास भी किया जाता है। पौष मास में इस दिन सूर्य देव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पौष अमावस्या व्रत और धार्मिक रीतिरिवाज:
पौष मास को दार्शनिक और आध्यात्मिक समीक्षा करने के लिए शुभ माना जाता है। पौष मास की अमावस्या को जल स्नान के बाद अपने पूर्वजों की तर्पण करना चाहिए। इस दिन, एक कुंजीपत्र में पितृदेवताओं का तर्पण करने के लिए सोने के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालें और इसे सूर्य देव को जल चढ़ाएं। शांति के लिए पूर्वजों का तर्पण करने के लिए इस दिन उपवास रखना और गरीबों को दान देना भी अनिवार्य है। जिनके कुंडली में पितृदोष और संत हीन योग हैं, उन्हें पौष अमावस्या के दिन उपवास करना चाहिए ताकि पूर्वजों का तर्पण किया जा सके। इस शुभ दिन पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और तुलसी पौध के चारों ओर घूमना चाहिए। माना जाता है कि पौष अमावस्या पर उपवास रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही पूर्वजों को शांति मिलती है।

पौष अमावस्या का महत्व:
हिन्दू धर्म में, पौष मास को बहुत फलदायक और उच्च गुणवत्ता वाला बताया जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए, यह महीना सबसे अच्छा है। इस दिन का उपवास न केवल पूर्वजों को शांति प्रदान करता है, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, पिशाच, सूर्य, अग्नि, पवन, ऋषि, पक्षी और पशुओं को भी। पौष मास के दौरान जलवायु परिवर्तन के आधार पर आपके दिए गए अनुच्छेद में धर्मिक गतिविधियों और पौष अमावस्या के महत्व की चर्चा की गई है। इसमें श्राद्ध, तर्पण, पितृदोष से मुक्ति के लिए उपवास, और सूर्य देव की पूजा जैसी धार्मिक गतिविधियों का वर्णन है। ब्लॉग ने पौष अमावस्या 2024 के लिए विशिष्ट रीति-रिवाज, तिथियाँ, और पूजा विधि को बताया है। यह पौष मास के महत्व को ध्यान में रखता है और इस विशेष अमावस्या की पूजा के लिए श्राद्धांजलि दिया है।

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